जोधपुर : राजस्थान प्रशासनिक सेवा भर्ती परीक्षा के आगामी साक्षात्कार चरण की तर्ज पर उत्कर्ष क्लासेस द्वारा डॉ. सम्पूर्णानन्द मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित सात दिवसीय मॉक इंटरव्यू कार्यशाला का पहला दिन अभ्यर्थियों के जोश व उत्साह से भरा रहा। सोमवार, 26 सितंबर को कार्यशाला के औपचारिक उद्घाटन सत्र के दौरान साक्षात्कार विशेषज्ञ एवं प्रेरक वक्ताओं के रूप में मौजूद पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों व शिक्षाविदों ने अभ्यर्थियों से रूबरू होकर वास्तविक साक्षात्कार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभवों को उनके साथ साझा किया। सत्र संयोजक अक्षय गौड़ द्वारा कार्यशाला के आगामी दिनों में होने वाले सत्र एवं उनकी गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त और सारगर्भित जानकारी मुहैया करवाने के साथ ही कार्यशाला के औचित्य पूर्ण प्रारूप, उद्देश्य तथा मॉक इंटरव्यू में बनाए गए पैनल बोर्ड एवं वास्तविक इंटरव्यू पैनल बोर्ड की समानता के गूढ़ पहलुओं की जानकारी प्रदान की गई। उद्घाटन सत्र में डॉ. दिनेश गहलोत के आग्रह पर विशेष तौर पर आमंत्रित मुख्य अतिथि एवं राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ललित के. पँवार और डॉ. शिव सिंह राठौड़, लेखक व प्रेरक वक्ता डॉ. सतीश बत्रा एवं उत्कर्ष क्लासेस के संस्थापक एवं कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ. निर्मल गहलोत ने माँ सरस्वती के सामने दीप प्रज़्जवलित कर कार्यशाला की शुरुआत की।
“इंटरव्यू पैनल के समक्ष झूठ बचाव का जरिया नहीं, इसलिए अपने जवाबों पर ईमानदार रहे” – डॉ. पँवार।
पहले दिन के सत्र में बतौर मुख्य अतिथि एवं मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ललित के. पँवार ने अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के आधारभूत मापदंडों से अवगत किया तथा तैयारी की रूपरेखा बनाने के सैद्धांतिक पहलुओं पर रोशनी डाली। डॉ. पँवार ने अभ्यर्थियों से हर एक सवाल का ईमानदारी से जवाब देने की सलाह देते हुए बताया कि इंटरव्यू पैनल के सामने अपने जवाबों पर झूठ या दिखावे की लीपापोती नहीं करनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने साक्षात्कार के आयोजन के पीछे चयन बोर्ड के उद्देश्य को सामने रखने के अलावा आचार संहिता के बारे में अभ्यर्थियों का ज्ञानवर्धन किया। इसी कड़ी में प्रेरक वक्ता डॉ. सतीश बत्रा ने कार्यशाला में उपस्थित अभ्यर्थियों को साक्षात्कार को लेकर भयभीत होने की बजाय आशावादी रह कर उस पड़ाव का सामना करने को कहा। अपने सेशन में उन्होंने साक्षात्कार को लिखित परीक्षा से हटकर संबंधित पद हेतु व्यक्तित्व एवं पात्रता को जाँचने के लिए एक अंतःक्रियात्मक वार्तालाप बताया, जहाँ अभ्यर्थी के ज्ञान के साथ-साथ उसके व्यक्तित्व के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष पहलुओं की मनोवैज्ञानिक एवं व्यावहारिक परख होती है। उन्होंने साक्षात्कार में शाब्दिक व अशाब्दिक सम्प्रेषण के महत्त्व पर चर्चा की। अंत के सत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश राजपुरोहित ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित समसामयिकी मुद्दों पर चर्चा की।
कार्यशाला में ‘ध्यानोत्कर्ष’ सेशन से अभ्यर्थियों को मिली तनाव से मुक्ति।
सायंकालीन के सामूहिक सत्र के दौरान उत्कर्ष के संस्थापक डॉ. निर्मल गहलोत ने अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए श्रेष्ठ मानसिक स्वास्थ्य हेतु रोजाना ध्यान करने की सलाह दी। ध्यानोत्कर्ष के रूप में अपने सेशन में उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित सभी अभ्यर्थियों को व्यावहारिक तौर पर कुछ समय ध्यान करवाया। डॉ. गहलोत ने ध्यान के वैज्ञानिक, तार्किक एवं आध्यात्मिक पहलुओं को अभ्यर्थियों के सामने रखते हुए बताया कि ध्यान से हमें मन एवं शरीर का संतुलित सामंजस्य स्थापित कर व्यक्तित्व को पूर्ण ऊर्जा में एकाकार करने में मदद मिलती है। इस मानसिक व्यायाम की आठ प्रचलित विधियों की चर्चा करने के अलावा इसके वैज्ञानिक, तार्किक एवं आध्यात्मिक पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए उन्होंने ध्यान के मानसिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं शारीरिक फायदों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. गहलोत ने अपने सेशन में अभ्यर्थियों के मन में उठते ध्यान से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण प्रश्नों व जिज्ञासाओं का समाधान किया और इसके व्यावहारिक एवं तकनीकी पहलुओं को विस्तार से समझाते हुए सम्पूर्ण जीवन में इसे नियमित दिनचर्या बनाने के लिए प्रेरित किया।