मुंबई : महान गायिका आशा भोसले ने अपने संगीत के सफर दौरान किस्म किस्म के हजारों गीत गाये हैं। फिर चाहे वह रोमांटिक गीत हो या कैबरे या मुजरा हो या फिर भजन। पर यह भी सही है कि आशा भोसले को कभी सिम्फनी के लिये अपनी आवाज देने का मौका नहीं मिला। स्वयं उनके दिल में भी यह बात लंबे समय से खटक रही थी। सिम्फनी के लिये अपनी आवाज देने की उनकी बरसों पुरानी तमन्ना थी और उनकी यह तमन्ना फिल्म "लाइफ ईज गुड" के तहत अब पूरी हुई है। मुख्य भूमिका में जैकी श्रॉफ को चमकाती इस फिल्म के निर्माता हैं आनंद शुक्ला और निर्देशक हैं अनंत नारायण महादेवन।
आशाजी की दिली तमन्ना पूरी करने वाली इस सिम्फनी के बोल मानवेन्द्र ने लिखे हैं और इसे संगीत में पिरोया है अभिषेक रे ने। बोल हैं, "रुत भीगे तन घर आयी थी....."। सिम्फनी के लिये आशाजी की आवाज को याद करने के बारे में संगीतकार अभिषेक रे कहते है, " आशाजी से मेरा पुराना परिचय है। मैं उन्हें तब से जानता हूँ, जब मैं गुलजार साहब के साथ उनके अलबम "उदास पानी" के लिए जुड़ा हुआ था। जब मैं "लाइफ ईज गुड" के संगीत पर काम कर रहा था तो एक सिच्युएशन पर सिम्फनी का उपयोग करना सही लगा। मेरे मन में था कि मैंने कभी सिम्फनी के लिये अब तक आशाजी की आवाज नहीं सुनी है तो क्यों न इस सिम्फनी के लिये उनकी आवाज इस्तेमाल की जाए। जब मैने आशाजी से बात की तो वे बहुत खुश हो उठीं। बताया कि यह पहला मौका होगा जब वे सिम्फनी के लिये आवाज देंगी। उनकी यह खुशी तब दुगनी हो गयी, जब उन्हें यह पता चला चला कि फिल्म के नायक जैकी श्रॉफ हैं। वे उन्हें प्यार से जग्गु संबोधित करती हैं और अपने जग्गु की फिल्म के लिये अपना योगदान देने के लिए वे सहर्ष तैयार हो गईं।
रिकार्डिंग वाले दिन भी उनका चेहरा खुशी से छलक रहा था। रिकार्डिंग पश्चात उन्होंने कहा,'आज का दिन मेरे लिये खास है। आज मेरी पुरानी चाह पूरी हुई है। मुझे कई बार यह लगता था कि शायद मेरी किस्मत में सिम्फनी के लिये आवाज देना नहीं लिखा है पर उपरवाले की मेहरबानी से यह मौका भी मिल गया और वह भी जग्गु की फिल्म के तहत। अब मैं गर्व के साथ कह सकती हूँ कि मेरे संगीत में जो अधूरापन था, वह पूरा हो गया। आज मेरी गायिकी का सर्कल पूरा हो गया। सच में मैं ईश्वर की शुक्रगुजार हूं।'
आशा जी के श्रीमुख से अपनी तारीफ सुन जैकी श्रॉफ भी भावविभोर हो उठे। उन्होंने कहा,'मेरी पहली फिल्म हीरो की सफलता में संगीत का बड़ा योगदान था। तब से मुझे
अच्छे संगीत की अहमियत पता चल गई थी। मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि आशा जी जैसी महान गायिका को पहली बार सिम्फनी के लिए आवाज़ देने का मौका मेरी फिल्म के तहत मिला। यह सिम्फनी मेरे दिल के करीब रहेगी। क्योंकि इसमें आशा जी की आवाज़ समायी हुई है। अब इस फ़िल्म के कर्णप्रिय संगीत की बदौलत मैं गर्व से कह सकता हूँ कि "यस, लाइफ ईज गुड"।'
इस सिम्फनी के बारे में अभिषेक रे का कहना है कि यह कहानी के मूड को प्रस्तुत करती है। इसके बोल में रुत का जिक्र है। जिस तरह रुत बदलती रहती है उसी तरह जिंदगी में भी बदलाव आते रहते हैं। बदलाव की यह प्रक्रिया इस फिल्म की कहानी की नींव है और सिम्फनी की बदौलत यह नींव और मजबूत हो गयी है।
यह निर्माता आनंद शुक्ला की पहली फ़िल्म है। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि अपनी पहली फिल्म के तहत आशाजी का सिम्फनी का बरसों पुराना सपना सच हो जाएगा। आशा जी की गायिकी के कैरियर में अपनी फ़िल्म का महत्वपूर्ण योगदान देख अब वे भी फख्र से कहते हैं , 'लाइफ ईज गुड'।